Women’s day Poem in Hindi: आज हम बच्चो के लिए वोमेन डे के दिन के लिए कविता लाए जिसे गाकर कोई बच्चा women day के दिन स्पीच को शुरू और खत्म कर सकता है। किसी भाषण में सबसे जरूरी यह होता हैं कि उसकी शुरुवात कैसे हुई और उसका अंत कैसे होगा। इसमें कविताएं आपकी बहुत मदद करती है।
अगर आप किसी भाषण की शुरुवात एक poem से करोगे तो लोग आपके भाषण को ज्यादा सीरियस होकर सुनेगे। इसलिए आज हम आपको छोटी और बड़ी दोनो प्रकार की women day Poem लाए है जिसका प्रयोग आप अपने भाषण में आसानी से कर सकते हो।
Women’s day Poem (महिला दिवस पर कविता)
Women’s day Poem 1:
महिलाएं, शक्ति की प्रतिमा,
समर्थ, साहसी, और स्थिर।
सम्पन्नता की दिशा में,
वह सदा ही प्रेरणा स्त्रोत हैं।
विचारों की उड़ान,
सपनों का पंख बनकर उड़ती हैं।
समाज के साथ मिलकर,
वह संगठित जीवन बिताती हैं।
बलिदानी, निःस्वार्थ,
हर दर्द को छुपाती हैं।
प्रेम, स्नेह, और सहयोग,
उनकी अमृत संगीत हैं।
माँ, बहन, पत्नी,
सभी महिलाएं, नन्हें हीरो।
उनका समर्थन, उनका साथ,
हर पल, हर दिन, नया चरित्र बोता हैं।
महिलाओं को श्रद्धांजलि,
उनके समर्पण को सलाम।
महिला शक्ति, हमारी शान,
निरंतर उज्जवल रहे ये सपने के मंदिर के शिखर।
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Women’s day Poem 2:
नारी, वह है शक्ति का प्रतीक,
स्वतंत्रता की मिसाल, समर्थ और उत्कृष्ट।
समाज के निर्माण में वह अग्रज,
सपनों के पंखों को हमेशा उड़ाती है वह।
माँ की ममता, बहन की सहानुभूति,
प्रेम की मूरत, स्नेह की निधि।
काम की रानी, शूरवीरता का प्रतीक,
हर क्षण उनके साथ बनता है नया इतिहास।
नेत्रित्व की मिसाल, शिक्षा की शिल्पिका,
समाज के उत्थान में उनका महत्व अपार।
करियर की उड़ान, सपनों का साकार,
महिलाओं का योगदान, है अनमोल और अद्वितीय।
नारी, वह है समाज की आधारशिला,
उनके बिना यह जगत अधूरा है और अजनम।
Women’s Day पर उनको सलाम,
उनके समर्थन में लगे हमारे वचन।
Women’s day Poem 3:
महिलाओं की शक्ति, अद्भुत और अद्वितीय है, वे हैं समृद्धि की कुंजी, इस विश्व की प्रेरणा की जड़।
मां की ममता, बहन की लव, पत्नी की स्नेह, सबकुछ जिनमें समाया, अनमोल गहना उनका है।
समाज के आधार, वे हैं नगरीया स्तंभ, हर क्षण उनका बलिदान, विश्व को देता संजीवनी के तंब।
समय की रेतीली धारा में, वे बहती हैं अद्वितीय, अपने सपनों की परवाह किए, बनीं उन्होंने इतिहास की प्रेरणाओं की लहर।
वो हैं नारी, वो हैं शक्ति, वो हैं बलिदानी, जिनके बिना यह संसार, अधूरा, अधूरा, अधूरा होता निरन्तर।
तो चलो आज हम स्वीकार करें, महिला का महत्त्व, और उनका सम्मान, करें सबको विशेष।
महिलाओं के नाम, है यह कविता विराजमान, निरंतर बढ़ती चले उनकी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों की प्रतिमा निरंतर।
चलो बढ़ते हैं, महिलाओं के साथ साथ, एक बेहतर भविष्य की दिशा में, हर कदम है ज़रूरी हमारे लिए समर्पित।
समाज में समर्पित, समर्पित हर क्षण, महिलाओं की महानता को समर्पित, है यह कविता अनंत।
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